संगठन-सरकार से बाहर पायलट राजस्थान की सियासी जमीन पर अपनी पकड़ कमजोर नहीं पड़ने दे रहे
09/09/2020 9:06 PM Total Views: 4556
नई दिल्ली। राजस्थान कांग्रेस के अंदरूनी संग्राम पर विराम लगने के बाद अब भविष्य में पार्टी का सियासी पताका थामने की पेशबंदी का दौर शुरू हो गया है। सूबे की सरकार और संगठन से बाहर होने के बावजूद सचिन पायलट राजस्थान की सियासी जमीन पर अपनी पकड़ कमजोर नहीं पड़ने दे रहे हैं। भविष्य की सियासत पर दांव लगाने की रणनीति के तहत दो दिन पूर्व अपने 43वें जन्म दिन को पायलट ने सूबे की राजनीति में अपनी पकड़ कायम रखने का संदेश देने का अवसर बनाया।
यहाँ क्लिक करके हमारे व्हाट्सएप ग्रुप को ज्वाइन करेंपायलट के जन्म दिन को सियासी मौका बनाने के लिए रक्तदान शिविर का आयोजन हुआ
Read Also This:
जन्म दिन को सियासी मौका बनाने के लिए पायलट के समर्थकों ने पूरे राजस्थान के करीब 190 विधानसभा क्षेत्रों के साथ ब्लॉक स्तर पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया। साथ ही इसको कामयाब बनाने के लिए पायलट समर्थक सूबे के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने 45 हजार यूनिट रक्तदान कर इस आयोजन को प्रदेश के रिकार्ड बुक में दर्ज करा दिया।
पायलट ने गहलोत, कांग्रेस नेतृत्व को अपनी राजनीतिक क्षमता और प्रभाव की धमक की दिखाई झलक
जाहिर तौर पर इस आयोजन के जरिये पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही नहीं कांग्रेस नेतृत्व को अपनी राजनीतिक क्षमता और प्रभाव की धमक बची रहने की झलक दिखाई। बगावत प्रकरण के दौरान उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दोनों पद गंवाने के बाद पायलट की अभी न सरकार में सीधी कोई दखल है और न ही संगठन में उनका प्रभाव।
जन्म दिन के मौके पर राजस्थान कांग्रेस में कायम आधार की दिखाई झलक
राजनीति में इस मौजूदा स्थिति को उनकी कमजोरी न मान लिया जाए इसके मद्देनजर ही पायलट ने सूबे के सभी जिलों और विधानसभा क्षेत्रों में अपने सियासी आधार के कायम रहने का संदेश देने से गुरेज नहीं किया। कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति के लिहाज से पायलट ने अपनी यह ताकत उस समय दिखाई है, जब बगावत प्रकरण के दौरान उनकी जगह गहलोत समर्थक जाट नेता गोविंद सिंह डोटासारा को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा चुका है। इतना ही नहीं प्रदेश संगठन से पायलट के तमाम समर्थकों की भी विदाई हो चुकी है। हालांकि यह अलग बात है कि जन्म दिन को सियासी मौका बनाने का पायलट का यह दांव किसी असंतोष से नहीं जुड़ा है।
पायलट की घर वापसी में प्रियंका गांधी वाड्रा की सबसे अहम भूमिका रही थी
Read Our Category News Story
हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें : क्लिक करें
कांग्रेस हाईकमान ने बगावत प्रकरण खत्म करने के दौरान ही सचिन पायलट और उनके समर्थकों की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से शिकायतों पर गौर कर समाधान निकालने का भरोसा दिया था। अविनाश पांडेय को राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी महासचिव पद से हटाने की पायलट की मांग हाईकमान पहले ही मान चुका है। गहलोत सरकार के विश्वास मत हासिल करने के तत्काल बाद ही पांडेय ने इस्तीफा दे दिया था और उनकी जगह अजय माकन को राजस्थान कांग्रेस का प्रभारी महासचिव बनाया जा चुका है। माकन पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के निकट माने जाते हैं। वैसे सचिन पायलट की राहुल और गांधी परिवार से निकटता किसी से छिपी नहीं है। बगावत प्रकरण के दौरान पायलट की घर वापसी में प्रियंका गांधी वाड्रा की सबसे अहम भूमिका रही थी।